ईरान से पुराने संबंध, इजरायल के साथ कारोबारी रिश्ते। ..... मिडिल ईस्ट की जंग को लेकर भारत का स्टैंड क्या है ?
Writeen By : Romi Kindo
ईरान के साथ लम्बे समय से भारत के रिश्ते बने हुए है और उसके साथ गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध है। इसी तरह से पिछले दशक में इजरायल के साथ भारत के संबंध,खासतौर पर डिफेन्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर में काफी मजबूत हुये है।
![]() |
साल 2016 में सुप्रीम लीडर ख़ामेनेई से मिले थे पीएम मोदी |
भारत रिस्तो में बना रहा संतुलन
ईरान भारत का पुराना दोस्त है और उसके साथ गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से इजरायल के साथ सम्बन्ध,खासतौर पर डिफेन्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर में काफी मजबूत हुए है,ऐसे समय में जब ईरान खुद को अलग-थलग पाता है। भारत ने किसी पक्ष को चुनने से परहेज किया है और 'वार्ता और कूटनीति' के अपने मंत्र पर कायम रहा है।
यह तब है जब ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली ख़ामेनेई कश्मीर मुद्दे और 'अल्पसंख्यको के साथ व्यवहार' को लेकर भारत की कभी-कभार आलोचना करते रहे है, हालाँकि ईरान ने कभी भी भारतीय हितो के खिआफ़ काम नहीं किया है,ईरान में भारत की अहम हिसेदारी है।खासतौर पर चाबहार बंदरगाह परियोजना में ,भारत देश को जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करता है। दक्षेत्र में एक प्रमुख खिलाडी के रुप में देखता है,यह तक कि ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंध भी दोनों देशो के बीच संबंधो को पटरी से उतारने में विफल रहे है।
चाबहार में ईरान का साझेदार
अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयत बंद कर दिया है और अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए रूस की और रुख कर रहा है। ऐसे में भारत और ईरान के बीच कनेक्टिविटी उनके संबंधो का आधार बनती है। चाबहार बंदरगाह भारत की कनेक्टिविटी योजनाओ के साथ-साथ आक्रामक चीन के सामने अपने भू-राजनितिक प्रभाव का विस्तार करने के लिए भी अहम है।
टिप्पणियाँ