मोदी की ट्रम्प से खरी बात
Written By : Romi kindo
प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा में जी -7 देशो के शिखर सम्मेलन में इन देशो की आतंकवाद पर दोहरी निति को उनके सन्मुख ही बेनकाब करने के साथ वही से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से फोन पर लम्बी बात वार्ता में जो कुछ कहा,उससे अमेरिका को यह समझ अब जाये तो बेहतर कि भारत कश्मीर अथवा अन्य मामले में किसी के दबाव में आने वाला नहीं है।
यह अपेक्षित ही नहीं,आवश्यक था कि भारतीय प्रधानमंत्री ट्रम्प के इन दावों पर स्पष्ट रूप से कुछ कहते है की उन्होंने भारत और पकिस्तान के बीच कथित तौर पर संघर्षविराम कराया और इसके लिए उन्होंने दोनों देशो को व्यापार करने का प्रस्ताव रखकर सैन्य टकराव थामा। पधानमंत्री मोदी ने उससे कहा कि ऐसा नहीं कुछ नहीं था,और भारत से इस संदर्भ में कोई बात नहीं हुई।
इसका अर्थ है कि ट्रम्प का बार-बार दोहराया जाने वाला दावा फर्जी है। मोदी ने यह भी साफ़ किया कि भारत ने कश्मीर पर न तो कभी मध्यस्थता स्वीकार की है और न ही करेगा। ट्रम्प को यह सब सुन्ना अच्छा तो नहीं लगा होगा,लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि जब भारत आर्थिक रूप से इतना सशक्त नहीं था कर आज जैसा अन्तराष्ट्रीय स्तर कद भी नहीं था,तब यदि उसने कश्मीर पर किसी तीसरे देश को बीच-बचाव करने का मौका नहीं दिया तो फिर आज ऐसा कैसे कर सकता है।
यदि अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके सहयोगी यह बात नहीं समझते तो इसके लिए वे अपने आलावा अन्य किसी को दोष नहीं दे सकते। आज इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अमेरिका का वः प्रभाव नहीं रहा,जी दो-तीन दशक पहले हुआ करता था। यह भी कटु सत्य है कि ट्रम्प के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के फजीहत ही अधिक हो रही है,बड़ी-बड़ी बातें करने के बावजूद ट्रम्प न तो रूस-यूक्रेन युद्ध रोक सके और न ही अपनी मनमानी टैरिफ नीति पर कायम रह सके।
यह सही है कि वे अपने ढंग के अनोखे राष्ट्रपति है और कई बार राजनयिक शिष्टाचार भी भुला देते है,पर इसका यह मतलब नहीं कि भारत उनके अनुचित दबाव में आ जाये। भारतीय प्रधानमंत्री ने एक जरूरी काम यह भी किया कि उन्होंने कनाडा से अमेरिका आ जाने के ट्रम्प के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इअसा करना इसलिए अनिवार्य था,क्योकि ट्रम्प पकिस्तान के जिहादी सोच और आतंक को खुला समर्थन देने वाले सेना प्रमुख आसिम मुनीर से मुलाकात की तैयारी कर रहे थे। यदि ट्रम्प को अपने निजी स्वार्थो के चलते पकिस्तान की हरकते स्वीकार है तो वे उन्हें मुबारक। यह अच्छा हुआ की भारतीय प्रधानमंत्री ने उनसे यह भी कहा कि भारत अब अब आतंकवाद को युद्ध के रूप में ही देखेगा। यह भी पाकिस्तान को भी सीधा सन्देश है।
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