वट सावित्री पूजा समाप्त होने के बाद पत्नियां क्यों करती है पति को पंखा, इसके पीछे क्या है धार्मिक महत्व
इस दिन महिलाएं कलावा बरगद के पेड़ में बांधकर परिक्रमा करती है और पति की लम्बी आयु के लिए कामना करती है, यह पूजा समाप्त होने के बाद पति को बांस के पंखे से हवा करती है,जिसका इस व्रत में खास महत्व है।
WRITTEN BY : ROMI KINDO
आज वट सावित्री पर्व मनाया जा रहा है, इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए उपवास रखती है,यह पर्व सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ा हुआ है,वट सावित्री व्रत हर साल ज्येसठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है,इस दिन विवाहित महिलाये 16 शृंगार करके वट वृक्ष की पूजा करती है, इस दिन व्रती स्त्रियाँ बॉस की टोकरी में गुड़,भीगे हुए चने, मीठे गुलगुले,कुमकुम,रोली,अक्षत,मौली,फल,पान,सुपारी,धूप बाती और हाथ जल का लोटा लेकर वट वृक्ष के पास जाती है,
साथ ही महिलाएँ कलावा बरगद के पेड़ में बांधकर परिक्रमा करती है,और पति के लम्बीआयू के लिए कामना करती है,साथ ही समाप्त होने के बाद व्रती महिलाएं पति को बॉस के पंखे से हवा करती है,जिसका इस व्रत में खास महत्व है,आइये जानते है बॉस के पंखे ला इस व्रत से क्या महत्व है....
वट सावित्री पूजा समाप्त होने के बाद क्यों करते है पति को पंखा
पूजा के दौरान महिलाएँ बाँस के पंखे से पहले वट वृक्ष को पंखा झलती है फिर पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्यवती वरदान माँगती है,इसके बाद घर पहुँचकर पति के पैर धोकर उनका आशीर्वाद प्राप्त और पति को पंखा करती है, इसी दिन बाँस का पंखा दान करना भी बहुत अच्छा मन जाता है,
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