5साल में कोरोना के वैरिएंट बदले है तो क्या वैक्सीन भी बदली है ? क्या कहती है Yale University की रिसर्च
कोरोना फिर दुनिया को डरा रहा है,मरीजों की संख्या बढ़ रही है, अस्पतालों पर भी दबाव बढ़ रहा है,हांगकांग और सिंगापूर से शुरू हुआ इस बार का वायरस भारत -अमेरिका समेत कई अन्य देशो में न सिर्फ बढ़ रहा है,बल्कि लोगो के मौत के मामले भी सामने आ रहे है,नए वैरिएंट NB.1.8.1 और _F.7 की एंट्री ने पूरी दुनिया को चौकन्ना कर दिया है।
Written By : Romi kindo
कोविड 19 को शुरू हुए 5 साल हो चुके है, लेकिन वायरस खत्म नहीं हुआ है,यह हर साल नया रूप लेकर आता है,कभी डेल्टा, कभी ओमीक्रॉन और अब NB. 1. 8.1और LF.7 जैसे वैरिएंट,कई लोग नए वायरस से बचने के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर चर्चा कर रहे है, बड़ा सवाल उठता है, क्या कोविड वैक्सीन भी बदली है ?तो कितनी असरदार है, ये बदली हुई वैक्सीन ? अमेरिका में Yale University की रिसर्च इस सवाल का जवाब देती है।
विश्वस्वाथ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1और LF.7 को फ़िलहाल ' variants Under Monitoring ' कैटेगिरी में रखा गया है,हालाँकि ये ' Variants of Concern' या ' Variants of interest ' नहीं है, लेकिन चीन और एशिया के कुछ हिस्सों में कोविड मामलो में बृद्धि के पीछे इन्ही वैरिएंट्स का हाथ माना जा रहा है, भारत में अभी सबसे ज्यादा प्रचलित वैरिएंट्स JN.1 है, जो सभी टेस्ट किये गए सैंपलों में 53 % है, इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमीक्रॉन सब वैरिएंट्स (20%) है.
Yale University की रिसर्च के मुताबिक,अच्छी खबर यह है की,2022 से हर साल अपडेट किये जाने वाले ठीके अभी भी कोविड से गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु को रोकने प्रभावी माने जा रहे है, रोग नियन्त्रड एवं रोकथाम केंद्र के अनुसार शिशुओं और बच्चो और वयस्कों को टिका लगयाया जा सकता है, चूँकि वायरस में परिवर्तन हो रहा है, और इसके लिए नए - नए वैरिएंट्स सामने आ रहे है, इसीलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि अपडेटेड ठीके कितना अच्छा प्रदशर्न का रहे है.
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